ऋषि ने जवाब दिया कि राजा की सुविधा के लिए प्रजा के आवश्यक कामों में अवरोध डालना अनुचित है।
2.
उसके रास्ते में अवरोध डालना कहॉ तक न्याय संगत है, जो आन्दोलन कर रहे हैं वह भी कोइ आसमान से नही टपकते, इस धरती के जीव हैं और ऐसा हो सकता है कि कभी ऎसी हालत सामने आने पर दुखी होते हों तब उन्हें दुसरे द्वारा रास्ता रोकने पर दुःख होता हो पर जब अपना वक्त आता है तो उस दुःख को भूल जाते हैं।
3.
जब से समाज में वर्ग संरचना उभरना शुरु हुआ, यानि ऐसे वर्गों का उभार होना शुरु हुआ जो समाझ में प्रभुत्व प्राप्त करते जा रहे थे, और श्रम प्रक्रिया से विलग रहकर भी साधनों का उपभोग करने में सक्षम थे, और इसीलिए उनके पास अवसर था कि वह जगत की दार्शनिक संकल्पनाओं के लिए काल्पनिक चिंतन की उड़ान भर सकें, तभी से यथास्थिति बनाए रखने और उसे धार्मिक जामा पहनाने की कवायदें शुरू हुई और साथ ही लोक की इस भौतिकवादी समझ और व्याख्याओं पर अवरोध डालना शुरू कर दिया गया।